संस्थापिका एवं आद्य प्रमुख संचालिका वं. मौसीजी: वह समर्थ महिला कौन थी, जिसने केवल भारत में ही नही अपितु पूरे विश्वभर के विभिन्न देशों में रहनेवाली सैकडों-हजारो महिलाओं में हिन्दुत्व की भावना की ज्योति जगाकर उन्हें संगठन का महान मंत्र पढाया है। उस अलौकिक व्यक्तित्व का जीवन कैसा रहा होगा, जिसने मातृशक्ति को राष्ट्रकार्य के लिए प्रेरित किया और साकार हुआ एक विश्वव्यापी नारी संगठन जिसे आज विश्वभर में सम्मान की नजर से देखा जाता है। |
सरस्वती बाई आपटे : सतेजोडस्तु नित्यं शांत पवित्यस्य दिव्य चारित्यस्य नंदादीप:। राष्ट्र सेविका की दित्तीय प्रमुख संचालिका वं ताई जी के रूप में ये पंक्तियाँ न केवल देखी जाती थीं अपितु अनुभव भी की जाती थीं। शांत सिन्ग्ध वंदना ताई जी का जन्म कोंकण में रेलीगेयर तहसील में आंजल्रे गाँव ,फाल्गुन कृष्ण 11, 1910 ई० को हुआ। लो० तिलक जी उनके पिता जी के मामा थे। विरासत से राष्ट्र भक्ति का संस्कार लेकर आई इस बालिका का नाम ‘तापी’( ताप हरण करने वाली ) रखा गया। गोआ मुक्ति संन्ग्राम और पानशेत बाँध टूटने से आये प्रलय में अपना संपूर्ण योगदान दिया। प्रथम प्रमुख संचालिका लक्ष्मी व दित्तीय प्रमुख संचालिका ‘ सरस्वती ‘ यानि लक्ष्मी सरस्वती का अनोखा संगम राष्ट्र सेविका समिति के लिये बड़े ही सौभाग्य की बात है। 15 वर्ष की आयु में ‘तापी विद्रवांस’ ने “सरस्वती आप्टे “ के रूप में पुणे में प्रवेश किया। उनके पति विनायक राव आप्टे जी संघ के समर्पित कार्यकर्ता थे। एक पुत्र और दो कन्याओं ने उनका जीवन परिपूर्ण बनाया। |
वं उषा ताई चाटी : एक ऋजु ,स्नेहमयी व्यक्तित्व। वं उषा ताई मूलत: भंडारा (विदर्भ) निवासी फणसे कुल की कन्या है।आपका जन्म 31 अगस्त 1927 ,गणेश चतुर्थी के दिन हुआ। आपकी पढ़ाई भंडारा के मनरो हाई स्कूल में हुई । वे श्रीमती नाना कोलते की शाखा में भी जाती थी। वहाँ श्रीमती कोलते के समर्पण भाव और निरपेक्षता का प्रभाव उषा ताई पर अपनी छाप छोड़ गया। 1948 में विवाह के पश्चात उनका परिवार नागपुर में स्थांतरित हुआ। उनके पति श्री गुणवंत चाटी बाबा नाम से जाने जाते थे। वह संघ के निष्ठावान स्वंयसेवक एवम् घोष प्रमुख भी थे। उषा ताई हिन्दु मुलीची शाला में अध्यापन का कार्य करती थी तथा छात्राओं को सुसंस्कार भी देती थीं |
वं. प्रमिलाताई मेढे :
आप बाल्यकाल से समिति की सेविका है. आप नागपुर में डीएजीपीटी में सेवारत रही है। स्वेच्छा सेवानिवृत्ति लेकर समिति कार्य हेतु पूर्ण समय आपने दिया. वंदनीय मौसी जी का निकट सानिध्य आपको प्राप्त हुआ है. 1975 से 2003 तक आप प्रमुख कार्यवाहीका रही है। 2003 से 2008 तक आपने प्रमुख संचालिका का दायित्व निर्वहन किया है. .समिति कार्य हेतु आपका अनेक देशों में प्रवास हुआ है। न्यू जर्सी अमेरिका की आपको मानद नागरिकता प्राप्त हुई है।वंदनीय मौसी जी के जन्म शताब्दी वर्ष में आपनेमौसी जी की चित्र प्रदर्शनी को लेकर समूचे भारतवर्ष में, हजारों किलोमीटर का प्रवास 100 से अधिक स्थानों पर किया है. आप उत्तम वक्ता, गहन चिंतनशील एवं उत्तम लेखिका है. अनेक भाषाओं पर आपका प्रभुत्व है. वर्तमान में आप अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य हैं।
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प्रमुख संचालिका : माननीया शान्ताक्का जी -- एम.एस.सी. (गणित) एवं एम.एड.।कई वर्षों तक भारतीय विद्या भवन बेंगलुरू में अध्यापिका रही। समिति के कार्य के लिए 1995 में स्वेच्छा निवृत्ति ले लीं और अपना पूरा समय समिति के विस्तार एवं विकास के लिए दे रही हैं। इनका केन्द्र नागपुर है। समिति के कार्य विस्तार के लिए अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में प्रवास रहता है। |