हे कर्मयोगीनी राज योगिनी,जयतु अहल्या माता
हे कर्मयोगीनी राज योगिनी
जयतु अहल्या माता
जय जय तु अहल्या माता
जय जयतु अहल्या माता
युगो युगो तक अमर रहेगी
यशकीर्ती की गाथा
जय जय तु अहल्या माता 2 ||धृ ||
दीपज्योती सम तिल तिल जलकर स्वार्थ भावना परे त्याग कर प्रजावत्सला सतत प्रवाहित 2
उज्वल जीवन सरिता
जय जय तु अहल्या माता 2 ||1||
कर्म भविष्य की प्रबल धारणा
कभी किसी से की नही याचना
यज्ञरूप जीवन ज्वाला मे 2
प्रखर हुई तव आभा
जय जय तु अहल्या माता 2 ||2||
जीवनभर स्वजनोंका सह दुःख कर्तव्योसे हुई न परमुख
नीलकंठ सम गरल पानकर 2
क्षण क्षण जीवन बीता
जय जयतु अहल्या माता 2 ||3||
अन्नछत्र धर्मार्थ चलाये
मंदिर घाट कुए खुदवाये
परार्थ सुख जीवन हो सार्थक 2 दिव्यचरित्र की गाथा
जय जय तू अहल्या माता 2 ||4||