सीता अष्टभुजा सी लक्ष्मी
--------------------------------
सीता अष्टभुजा सी लक्ष्मी
मां सी प्रेरक स्त्रोत रही
राष्ट्र सेविका के हृदयो मे
उज्वल जीवन ज्योत रही 2
वंदे मातरम् वंदे मातरम् ||धृ ||
प्रसन्न मुद्रा स्वधर्म श्रद्धा
अविश्रांत नित कार्यरता
संयत दृढनिश्चयी विरागी
पवित्र वर्धा की वरदा
सात्विक वह हिंदुत्व मंत्र की
वाहक धवल कपोत रही ||1||
वत्सलता ममता से सिंचा
राष्ट्र सेविका समिती को
निष्ठा की आधार शीला बन
स्वत्व दिया स्त्री शक्ती को
स्त्रीविकास की प्राण रही वह
दृष्टी, वाणी,श्रोत्र रही ||2||
पथप्रदर्शनी राम कथा को
समाज संमुख सहज रखा
कर्ता,नेता,माता के गुण
स्त्री जीवन आदर्श सदा
गुणग्राहक वह इन्ही गुणों से
सदैव ओतप्रोत रही ||3||
जन्मशती के मंगल क्षण पर
यही प्रार्थना चरणो मे
मार्ग कठीण है पर चलने का
साहस भर दो मन मन मे
चिरंजीव है स्मृती वही जो
नित ऊर्जा की स्रोत रही ||4||