स्वयं झुका है जिसके आगे
हर क्षण भाग्यविधाता
धन्य धन्य है धन्य जिजाई 2
जगत वंद्य माता 2 ||धृ ||
जाधव कन्या स्वाभिमानी
क्षत्रिय कुल वनिता
शाहपुत्र शिवराज जननी तु
अतुलनीय नाता
माँ भवानी आराध्य शक्ती से 2
तुझको बल मिलता ||1||
राज्य हिंदवी स्वप्न युगों का
मावल अंतर मे
अश्वटाप शिव सैन्य कापती
मुघल सल्तनत मनमे
अमर हो गयी तव वचनो हित 2
सिंहगढ की गाथा ||2||
हर हर हर हर महादेव हर
घोष गगन गुंजा
महा पाप तरु अफजलखा पर
प्रलय काल टूटा
मूर्तीभंजक अरिशोणीत से 2
मातृ चरण धुलता ||3||
छत्रपती का छत्र देखकर
तृप्त हुआ तन मन
दिव्य देह के स्पर्श मात्र से
सार्थ हुआ चंदन
प्रेरक शक्ती बनी हर मन की 2
जीवन जन सरिता ||4||