युवा तुम बढे चलो
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आत्म का प्रकाश ले भरतभू सुवास ले चीर सघन अंधकार सूर्य प्रखर तेजसम
युवा तुम बढे चलो 2
क्यो की तुम हो भाग्य के विधाता ||धृ||
नव विहांन लायेंगे श्रम सरीत बहायेंगे नित्य नये शोध से धर्म के प्रबोध से विहस उठेगी धरा अरुण प्रथम रश्मी सम ||1|| युवा.....
वेद गीता ज्ञान से शास्त्र के प्रमाण से विज्ञान का उदय करे प्रेम विश्व मे भरे सृष्टी से एकात्म हो ईश चैतन्य सम ||2|| युवा.....
अध्यात्म की वसुंधरा विश्ववंद्य हो सदा
शौर्य वीर्य तेज से संस्कृतिम ओज से ऋषियों की प्रेरणा ज्योतिर्मय दीपसम ||3|| युवा.....
हृदय भक्ती भाव ले माँ हृदय सा प्यार ले
भरतभू के स्वर सुनो उठो उठो तुम उठो
राष्ट्र की पुकार पर विजयी कर्म वीर सम ||4||युवा.....