राष्ट्र सेविका समिति - संक्षेप में परिचय
Rashtra Sevika Samiti 06-Feb-2013
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नारी ही स्वयं प्रकृति है, सृष्टी की आद्य शक्ति है। इस संपूर्ण चराचर जगत् में जहाँ भी जो कुछ दिखाई देता है, वह उसी आद्याशक्ति की प्रभा से आभासित है, अत: चैतन्यमय है। इस आद्याशक्ति को हम महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली और उस परब्रह्म की शक्ति के रुप में मानते है। प्रत्येक स्त्री उस शक्तितत्त्व का अंश है इस संकल्पना से प्रेरणा लेकर भारतिय संस्कृति प्रवाहीत हुई।
भारतिय समाज रचना का ताना बाना ब्रह्ममयी चैतन्य शक्ति के अंशरूप नारी अस्तित्त्व के चारो तरफ बुना हुआ दिखाई देता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने समाज धारणा के लिए नारी की सुप्त शक्तियोंको आधार रूप माना है। हम देखते है की प्रत्येक कार्य में शक्ति आंतरनिहीत होती है। उस शक्ति का जागरण करते हुए, शक्ति को संघटित करते हुए, उसे राष्ट्र निर्माण कार्य में लगाने का विलक्षण ध्येय अधुनिक ऋषिका वं. मौसीजी ने अपने सामने रखा और उस उद्देश की पूर्ति हेतू राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की।
स्थापना - १९३६, विजयादशमी
मुख्यालय - केन्द्रीय कार्यालय नागपुर
संस्थापिका - आद्य प्रमुख संचालिका वं. स्व. श्रीमती लक्ष्मीबाई केळकर (मौसीजी)
वर्तमान प्रमुख संचालिका वं. शांताक्का
समिति का ध्येय - तेजस्वी राष्ट्र का निर्माण
सूत्र - स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है।
कार्यक्रम
- दैनंदिन तथा साप्ताहिक शाखाएँ लगाना वहां पर सेविकाओंको शारीरिक शिक्षा, बौद्धिक विकास, मनोबल बढाने के लिये विविध उपक्रम शुरू करना।
- प्रतिवर्ष भारतीय तथा विभाग बैठकों आयोजन शिशु-बालिका, युवती, गृहिणी सेविकाओंके लिये।
- वनविहार और शिबीरोंका आयोजन - शिशु, बालिका और गृहीणी सेविकाओं के लिए।
- अखिल भारतीय तथा प्रांत, विभाग स्तरोंपर प्रसंगोत्पात संमेलन लेना।
- अपनत्व की भावना से आरोग्य शिबिर, छात्रावास, उद्योग मंदिर, बालमंदिर संस्कार वर्ग सहित विभिन्न सेवाकार्य करना।
- विश्व विभाग में हिंदुत्व का प्रसार तथा हिंदु बांधवोंका संघठन
- १९४२ से लेकर रामजन्मभूमि आंदोलन, जम्मू कश्मिर बचाओ अभियान इत्यदी राष्ट्रीय कार्यों में महत्त्वपूर्ण सहभागिता देना।
राष्ट्रीय उत्सव
- वर्ष प्रतिपदा(चैत्र शुक्ल प्रतिपदा)
- गुरू पौर्णिमा(आषाढ पौर्णिमा)
- रक्षाबंधन(श्रावण पौर्णिमा)
- विजयादशमी(आश्विन शुक्ल दशमी)
- मकर संक्रमण(१४ जनवरी)
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