देश धर्म का मान करे
संस्कृति का सम्मान करे
जीवन सफल बना दे हम सब
एक नया निर्माण करे
हम राष्ट्र पुनर्निर्माण करे ||धृ ||
समाज मे हम घुलमिल जाये
समरस हो सम व्याप्त बने
निज संस्कृती की संरचना से
विश्व सकल एकात्म बने
कणकण मे चैतन्य जगा दे
अमृतजल की धार बने ||1||
समाज के सब दोष मिटा दे
समरसता का भाव बढे
संगठना के आराधन में
साधक बन अविराम चले
हम सब आज प्रतिज्ञा करले
राष्ट्र शक्ती का स्रोत बने ||2||
जन जन हित संस्कार हमारा
मानव का निर्माण करे
जीवनमूल्यों के सिंचन से
नंदनवन साकार करे
ध्येय देव के पुण्य प्रभा को
निज जीवन मे आज भरे ||3||