देवी अहल्याबाई कुशल प्रशासक, दान में अग्रणी, राजनीतिज्ञ और शिवभक्त थी। राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना के साथ ही वंदनीय मौसीजी ने देवी अहल्याबाई होल्कर को कर्तृत्व के आदर्श के रूप में सेविकाओंके सामने रखा। देवी अहल्याबाई के 300वीं जयंती वर्ष की प्रारम्भ में, चित्राताई जोशी (अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका , राष्ट्र सेविका समिति) ने जोर देकर कहा कि हर किसी को अपने जीवन और कार्य में इन गुणों को अपनाना चाहिए। वे ,३१ मई को नागपुर में देवी अहल्या मंदिर में त्रिशताब्दी वर्ष के प्रारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं।
इस अवसर पर माननीय प्रमिला ताई मेढे (पूर्व प्रमुख संचालिका राष्ट्र सेविका समिति) मंच पर उपस्थित थीं।
इस अवसर पर घोष के माध्यम से देवी अहल्याबाई को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये। साथ ही ई-बुक "कर्मयोद्धा अहल्याबाई होल्कर" का विमोचन गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया। चित्रा ताई जोशी ने आगे कहा कि अहल्याबाई ने उस ज़माने में माहेश्वरी, इंदौरी साड़ी बुनने जैसे कई स्टार्टअप शुरू किए और रोजगार बहाल किया, वह 24x7 काम कर रही थीं, उन्होंने कई काम आउटसोर्स किए, वह एक अच्छी ऑडिटर थीं, सात बारा उतारा पद्धति उन्होंने शुरू की ।
इससे पहले कर्तृत्व शालिनी, कर्मयोगिनी देवी अहिल्याबाई के 300वें जन्म शताब्दी वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर शिवभक्त अहिल्याबाई के अभिनंदन में रुद्र पाठ एवं शिव महिम्नस्तोत्र का कार्यक्रम आयोजित किया गया। रुद्र पठन के बाद, सभी बहनों ने शिवमहिम्नस्तोत्र का पठन हुआ। नागपुर में पुरोहित वर्ग की 230 बहनों और 20 भाइयों ने रुद्र पाठ में योगदान दिया।
रुद्र पठन तथा शिवमहिम्नस्तोत्र पठन इस प्रकार के कार्यक्रम वर्धा ,यवतमाल और ठाणे में भी संपन्न हुए।